बैखोफ भूमाफिया - एक तरफ कार्रवाई दूसरी और कटती रही अवैध कालोनियां ग्रीन बेल्ट की जमीनों पर हुए कब्जे से अनजान टीएनसीपी

इंदौर। भूमाफियाओं के खिलाफ शासन द्वारा शुरू किए गए अभियान में निशाने पर अवैध कॉलोनाइजर भी चढ़े हुए हैं। प्रशासन की एक टीम शहर में अवैध कॉलोनी काटने वालों की टोह में जुटी है, पर बड़ा सवाल यह है कि शासकीय और ग्रीन बेल्ट की जमीनों पर बैखोफ कब्जा करने वाले माफियाओं को किसका सरक्षण प्राप्त है। पिछले दो साल से अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई चल रही है। पहले शिवराजसिंह चौहान और बाद में मुख्यमंत्री कमलनाथ दोनों ने ही इसे अपनी प्राथमिकता बताया है। इन दो सालों में जिला प्रशासन, नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग कार्रवाई के दावे करता रहा। उधर, शहर की साढ़े पांच सौ अवैध कॉलोनियां तो वैध नहीं हो सकीं, उल्टे 65 से ज्यादा अवैध कॉलोनी शहर की छाती पर और तन गई। इसमें सबसे रोचक बात यह है कि टीएनसीपी जैसे विभाग को यह पता ही नहीं कि शहर के ग्रीन बेल्ट के कितने हिस्से पर अवैध बसाहट हो चुकी है।


मिलीभगत से बसी अवैध कॉलोनियां -
अवैध कालोनाजेशन अपराध है पर इस अपराध को रोकने में प्रशासन शुरू से विफल ही रहा है। बीते दो सालों में 65 अवैध।कॉलोनियां और बस।गई । गौरतलब है कि दो साल पहले नगर निगम सीमा क्षेत्र में 434 अवैध कॉलोनियां थीं। नगर सीमा के विस्तार के चलते 29 गांवों को शहरी क्षेत्र में शामिल किया गया। ये गांव अपने साथ 63 अवैध कॉलोनियों को भी ले आए जिससे अवैध कॉलोनियों का आंकड़ा 507 पर पहुंच गया। इस बीच जब नोटिफिकेशन जारी हुआ तो अवैध कॉलोनियों की संख्या 572 पर पहुंच गई। यानी शासन प्रशासन की कार्रवाई के बीच 65 अवैध कॉलोनी और कट गई। इसके पीछे सीधे तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत कही जा सकती है क्योंकि बिना प्रशासन की सहमति के अवैध कॉलोनी विकसित हो ही नहीं सकती।
प्रक्रिया शुरू हुई तो जागे टीएनसीपी के अफसर
शहर के मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ाने के लिए कुख्यात हो चुके टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग के अफसरों की नींद तब खुली जब शासन ने अवैध कॉलोनियों के संबंध में जानकारी तलब की थी। मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध मंजूरियां देने वाले इस महकमे को पता नहीं कि कितनी कॉलोनियों ने हरित क्षेत्र को डंस लिया है। शहरी क्षेत्र की पांच सौ से ज्यादा अवैध कॉलोनियों के संबंध में जब नगर निगम ने टीएनसीपी को पत्र लिख लैंड यूज की जानकारी चाही तो अफसर सक्रिय हुए और ताबड़तोड़ जानकारियां लेने में जुटे। बावजूद इसके विभाग के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जे अथवा कितनी कॉलोनी बस चुकी है।


केंद्र, मास्टर प्लान तो कहीं स्कीम बन रही रोड़ा -
अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण के लिए शासन ने भले एक साल पहले नगर निगम एक्ट में संशोधन कर दिए हों पर अभी भी कई पेचीदगियां हैं जिसके चलते नियमितीकरण की प्रक्रिया अटक रही है। शहरी क्षेत्र की 572 अवैध कॉलोनियों के लिए नगर निगम ने पिछले साल मई में नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन के बाद सामने आई पेचीदगियों के कारण प्रक्रिया थम गई। इसके पीछे बड़ा सरकारी जमीन पर बसाहट का था। इनमें आईडीए की स्कीम में 40 कॉलोनियां आ रही हैं। 30 कॉलोनी मास्टर प्लान में छोड़े गए आमोद-प्रमोद के क्षेत्र में है। 90 से ज्यादा कॉलोनी एयरपोर्ट और रेलवे के विस्तार क्षेत्र में बस गई। संकट यह है कि ऐसी कॉलोनियों के संबंध में निगम तो क्या शासन भी बेबस है।


दस लाख लोगों के आशियाने
अनुमान के मुताबिक करीब दस लाख लोग इन अवैध कालोनियों में जीवन बसर कर रहे हैं। ये वे मजबूर लोग हैं जिन्हें अपने बजट में एक अदद घर की दरकार थी जो इन्हीं कालोनियों में सुलभ हो सकता था, क्योंकि इंदौर विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड के पास कागजों पर योजनाएं तो तमाम हैं, जमीन पर एक भी योजना ऐसी नहीं जिसमं मध्यमवर्गीय और गरीबों के लिए स्थान हो। भ्रष्टाचार से कॉलोनी कटती है फिर इन कॉलोनियों की बसाहट वोट बैंक बन जाती है। जब भी चुनावी दौर आता है तो शासन को अवैध कालोनियों का दर्द सालने लगता है। इसी दौरान इन कालोनियों के नियमितीकरण की बातें उठती हैं और समय के साथ ठंडी भी हो जाती हैं।